राजेश प्रभाकर

जन्म- १५ दिसंबर १९६२ को नारनौल
में।
प्रकाशित कृतियाँ-
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख और कविताएँ प्रकाशित, एक चेहरा
(कविता संग्रह) प्रकाशित।
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कुण्डलिया
१
जिसकी किस्मत में लिखा, उसको टाले कौन।
ऐसा कुछ भी सोचकर, मत रह जाना मौन।
मत रह जाना मौन, चाह से ही पथ मिलता।
उम्मीदों से सींच, बाग़ जीवन का खिलता।
कहें 'प्रभाकर' सत्य, जीत होती है उसकी।
आशाओं की ज्वाल, अंत तक बुझी न जिसकी।
२
लाठी बिना लठैत के, नहीं कर सके वार।
निपुण सिपाही के बिना, अस्त्र शस्त्र बेकार।
अस्त्र शस्त्र बेकार, कुशलता बहुत जरूरी।
बिना किये अभ्यास, युद्ध से रखना दूरी।
कहें 'प्रभाकर' सत्य, धरी रह जाए काठी।
चतुराई बिन, यार, करेगी क्या फिर लाठी।
३
रस से ही रसना बनी, मीठा मीठा बोल।
पर जब भी हो बोलना, समझ, परख, ले तोल।
समझ, परख, ले तोल, सभी के मन को भायें।
बोली का ही फेर, गैर भी गले लगायें।
बुरा भला कहलाय, जगत में जस अपजस से।
मिट जाते हैं भेद, मधुर रसना के रस से।
४
जीवन जीने की कला, जिसने भी ली सीख।
उसके शुभ -शुभ हों यहाँ, हर दिन, हर तारीख।
हर दिन, हर तारीख, सफल जीवन हो जाता।
रचकर वह इतिहास, अमरता जग में पाता।
बनो प्रेरणा-स्रोत, जिन्दगी एक तपोवन।
उत्सव औ' आनंद, मनाये सारा जीवन।
५
जलने की आदत जिसे, सदा रहे बेचैन।
दूजे की खुशियाँ उसे, दुखी करें दिन रैन।
दुखी करें दिन रैन, द्वेष का बीज पनपता।
अंतर्मन में दाह, अहर्निश रहता तपता।
कहें 'प्रभाकर' सत्य, सुगम पथ पर की।
बना नई पहचान, दीप बनकर जलने की।
७ अक्तूबर २०१३ |