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सुभाष मित्तल सत्यम

जन्म-
४ सितंबर १९४८ को स्वरूपगंज जिला सिरोही राजस्थान में।

प्रकाशित कृतियाँ-
विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में कुण्डलिया, ग़ज़ल, दोहा, मुक्तक और गीत प्रकाशित
 

 

कुण्डलिया


जड़ चेतन की भिन्नता, सदा अविद्याजन्य।
अलग न कोई कर सके, दोनों नित्य अनन्य।
दोनों नित्य अनन्य, बीच में आयें रगड़े।
काम, क्रोध, मद लोभ, मोह के हैं सब झगड़े।
ज्ञान -प्रेममय कर्म, सफलता है जीवन की।
'सत्यम' मिथ्या सोच, भिन्नता जड़ चेतन की।


सोच समझकर जो चले, कठिन न लगती राह।
मिले सफलता काम में, और बढे उत्साह।
और बढे उत्साह, लगे सब कुछ सुखदाई।
खान, पान, अनुराग, मनोरंजन फलदाई।
प्रकटे मन संतोष, गीत गाकर या सुनकर।
'सत्यम' पाये मान , चले जो सोच समझकर।


पानी जीवन स्रोत है, प्रकृति तत्व इक मूल।
जल बिन उपवन में कभी, खिले न कोई फूल।
खिले न कोई फूल, सूख सब पादप जाएँ।
संयत रहे न ताप, नहीं हों जैव-क्रियाएँ।
निर्मल करता नीर, वस्तु हर नई पुरानी।
वे नर-मुक्ता व्यर्थ, मर गया जिनका पानी।


परमपिता की कृपा का, वृक्ष रूप साकार।
सभी प्राणियों के लिए, जीवन का आधार।
जीवन का आधार, नमी कर घन बरसाते।
वर्षा-जल गति रोक, भूमि जल सतह बढ़ाते।
भूमि अपरदन रोक, वृद्धि मृद -उर्वरता की।
'सत्यम' सचमुच वृक्ष, कृपा हैं परमपिता की।


सेवा का ही रूप है, करें ख़ुशी से दान।
किन्तु दान से पूर्व हो, सही पात्र पहचान।
सही पात्र पहचान, दान की बने सफलता।
करें बिना अभिमान, दान की तभी महत्ता।
घायल, रुग्ण, अपंग, सताया हुआ क्षुदा का।
सच्चा है हकदार, दान रुपी सेवा का।

३ जून २०१३

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