डर के मारे

 

 
जीवट, साहस और हौसलों तक में पैठ गया
डर के मारे डर, घर घुस्सू
बनकर बैठ गया

बर्बादी के पाठ पढ़े
पहले खुद ड्रैगन ने
सुनी मौत की आहट
धक-धक धक-धक धड़कन ने
मानव तन पर एक वायरस
आकर चैट गया

विपदा का टूटा पहाड़
मानवता के ऊपर
खुली हवा में साँसें लेना
जीना तक दूभर
लॉक अप में चउअन दिन का
जीवन धन नैट गया

धरे बिराजे रहे मुखौटे
झूठ, कपट, छल के
टूटे भरम सभी ताकत के,
शक्ति के, बल के
पाँवों से जूती औ' सर तक से है
हैट गया

- रवि खण्डेलवाल
१ जून २०२१