प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

२. ९. २०१३

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

1
हम भी कैसे पागल जैसे

                

हम भी कैसे,
पागल जैसे हँसते रोते हैं

होश सँभाला
जब से हमने देखा बँटबारा
देश बँटा, समाज को बाँटा, बँटता अँगनारा
टुकड़े टुकड़े वैमनस्य के हार पिरोते हैं

हम भी कैसे,
पागल जैसे हँसते रोते हैं

एक संगठित
ग्राम इकाई टुकड़ों में टूटी
दलगत राजनीति में फँसकर नीति-एकता रूठी
कूटनीति का विष पी-पीकर जगते सोते हैं

हम भी कैसे,
पागल जैसे हँसते रोते हैं

भाँग धर्म की
घोल धर्म-निरपेक्ष बन गए हैं
नेता अपने पाखंडों में खूब रम गए हैं
जात-पाँत के बिछे दर्प पर आपा खोते हैं

हम भी कैसे,
पागल जैसे हँसते रोते हैं

न्याय-विमुख
जन मानस देखो ओढ़े अँधियारा
मत जुगाड़ने के चक्कर में संसद गलियारा
भोजन बिल के नाम भीख के दाने बोते हैं

हम भी कैसे,
पागल जैसे हँसते रोते हैं

-लक्ष्मीनारायण गुप्ता

इस सप्ताह

गीतों में-

bullet

लक्ष्मीनारायण गुप्ता

अंजुमन में-

bullet

लोकेश नदीश

नई हवा में-

bullet

संजय पाल शेफर्ड

कुंडलिया में-

bullet

साधना ठकुरेला

पुनर्पाठ में-

bullet

स्वप्न मंजूषा शैल अदा

पिछले सप्ताह
२६ अगस्त जन्माष्टमी विशेषांक में

गीतों में- ऊधौ ! बदल गया बृजमंडल, एक प्रार्थना कान्हा से, कृपया अब मत आना, गीत का मधुमास कान्हा, जग वंशी की टेर सुनेगा, जन्मे कृष्ण कन्हाई, जय केशव गिरिधारी, प्रभु कुंज बिहारी, भक्ति-भाव का सूर्य उगा, मन के वृंदावन में, मन तो कब से वृन्दावन-सा, मुरली पे सब जग वारी, यमुना के किनारे. सखा कृष्ण की बातें, हमारे कृष्ण का जीवन, हे मधुसूदन हे नाथ। छंदमुक्त में- जन्माष्टमी की खुशी मनाएँ, तुम निष्ठुर हो, तेरा संग, प्रतीक्षा, मन राधा हुआ, मन हो जाए चंगा, यशोदा का नंदन, अंजुमन में- अवतरित होना चाहिये, कृष्ण कन्हैया, कृष्ण की बाँसुरी हो गए, गाथा कृष्ण की, ये नाम दुखभंजन। दोहों में- कान्हा तेरे जन्म पर, बाल रूप मन मोहना, कान्हा बन प्रभु आ गए, कृष्ण कन्हैया श्याम जी, लिया कृष्ण अवतार। सवैयों में- घनश्याम विदा जब गोकुल से, जगदीश तो वो है जो पीर हरे। कुंडलिया में- केशव ले लो जन्म फिर, जन्मे थे गोपाल

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

Google
Loading

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी
   

 

१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०