पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१५. २. २०१७

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दिल मेरा बिन बात बसंती

 

 

क्यों जाने धड़के है अबके
दिल मेरा बिन बात बसंती
1
फागुन की धुन गूँज रही है
यादों की अमराई में
साजन के दीदार हुए हैं
फूलों की परछाई में
1
धरती अंबर साज रहे हैं
खुशबू की बारात बसंती
1
दुल्हन साँसें डोल रहीं है
पल पल सरसों की डोली में
हाल जिया का पूछ रहीं सब
सखियाँ हँसी ठिठोली में
1
सुनके उनकी बतियाँ डोलें
तन तरुवर के पात बसंती
1
सच पूछो तो दसों दिशाएँ
आज बड़ी मदहोश लग रहीं
नरम नरम ये पुरवाई भी
साजन का आगोश लग रही
1
खुद पर कोई जोर नहीं है
बेकाबू जज्बात बसंती
1
आज न अपनी चाहत में
विरहा का कोई शूल रहे
हरपल लगता है बाहों के
झूले में हम झूल रहे
1
भूल नहीं पाएँगे तेरे
संगम की सौगात बसंती

1

- शंभु शरण मंडल

इस पखवारे

गीतों में-

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शंभुशरण मंडल

अंजुमन में-

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रमा प्रवीर वर्मा

छंदमुक्त में-

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कमल

दोहों में-

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अखिलेश सोनी

पुनर्पाठ में-

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अनुराग तिवारी

पिछले पखवारे
१ फरवरी २०१७ के अंक में

गीतों में-

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कृष्ण भारतीय

अंजुमन में-

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अभिषेक कुमार अंबर

छंदमुक्त में-

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विनोद दवे

छोटी कविताओं में-

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हरीष सम्यक

पुनर्पाठ में-

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अनूप अशेष

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