दिल मेरा
दिल मेरा ये सोचकर हैरान है
आदमी क्यों हो गया हैवान है
हम करें किस पर भरोसा आजकल
हर जगह काविज़ यहाँ शैतान है
प्यार के गुंचे नहीं खिलते हैं अब
नफ़रतों से गुलसिताँ वीरान है
हाले-दिल पूछा जो मेरा आपने
आपका मुझपर बड़ा अहसान है
उस चमन में आ नहीं सकती बहार
जिस पे माली का नहीं कुछ ध्यान है
छोड़ दूँ कैसे मैं करना शाइरी
शाइरी ‘अनिरुद्ध’ की तो जान है
३० जून २०१४ |