अनुभूति में
कृष्णकुमार तिवारी किशन
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
खबर हर बात की
चाहतों की कामना
दर-ब-दर हो रही थी
मुस्कराता पल
सच है क्या
संकलन में-
गंगा-
गंगा का जल
दीप धरो-
आओ दीवाली
आ गया दीपों का त्यौहार
दीपोत्सव
देवदार-
आहत हैं वन देवदार के
नया साल-
आया नूतन वर्ष
नये वर्ष की चाल
ममतामयी-
आशीष माँ का
बूढ़ी माँ का मन
मातृभाषा के प्रति-
हमारा
मान है हिंदी
हिंदी है आँगन की तुलसी
विजय पर्व-
अंतर्मन में राम जगाएँ
शिरीष-
शिरीष के फूलों जैसा होना
होली है-
रंगों का त्यौहार
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दर-ब-दर हो रही थी
दर-ब-दर हो रही थी ठिकाने लगी
याद फिर आज मुझको सताने लगी
क्या बताएँ तुम्हें ख़्वाब को देखकर
आँख क्यों इस कदर जगमगाने लगी
आ गयी है किरण शुभ नई भोर की
जिंदगी इक नया गीत गाने लगी
फिर घटाओं ने मौसम किया खुशनुमा
चाहतों की कली मुस्कराने लगी
चल रहे पाँव से रास्तों ने कहा
दूर मंजिल मगर पास आने लगी
१५ नवंबर २०१६
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