अनुभूति में
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अलग दुनिया से हटकर
एक लंबी उड़ान
खुदाया इससे पहले
जिस्म के बाहर
पंछियों का आना-जाना
बदन से हो के गुजरा
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पंछियों का आना जाना है
पंछियों का आना-जाना है
जिस जगह अपना ठिकाना है।
डूबना हो तो चले आओ
ये समंदर सूफियाना है।
हम फकीरों की दुआओं में
खुशबुओं वाला खजाना है।
रहमतों से लद रही शाखें
ये शजर कितना पुराना है।
दूसरा भी है कोई हममें
ये बदन तो जाहिराना है।
जिस्म से रिश्ता है रूहानी
बा-अदब इसको निभाना है।
साथ रहकर भी नहीं देखा
किस कदर वो गायबाना है।
२८ अप्रैल २०१४
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