अनुभूति में
ज्योतिर्मयी पंत की रचनाएँ-
माहिया में-
सावन के माहिया
हाइकु में-
सूरज सेठ
जनक छंद में-
पौध को रोपना
संकलन
में-
होली है-
फुलकारी रंगीन (दोहे)
नया साल-
आया है नव वर्ष (कुंडलिया)
मेरा भारत-
अनुपम अपना देश है (दोहे)
वर्षा मंगल-
पहली बूँदें पाय (दोहे)
विजय पर्व-
समस्याओं के दशानन (दोहे)
रघुनंदन वंदन-
धरा पर लौटें रघुपति (कुंडलिया)
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सावन के माहिया
१
नभ बदली घिर आई
लो आया सावन
बेटी पीहर आई।
२
झूले हैं शाखों में
आओ सब सखियों
खुशियाँ भर आँखों में।
३
घन मृदंग से बजते
बूँदों की पायल
मोर नृत्य वन सजते
४
सखियाँ हिल मिल गायें
बागों में झूले
कजरी-तीज मनाएँ।
५
प्यास बुझी खेतों की
बरसा जो पानी
खुशहाली भेंटों की।
२७ अक्तूबर २०१४ |