पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ५. २०२२     

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

जश्न सा तुझको मनाऊँ

 

 

गुनगुनी-सी आहटों पर
खोल कर मन के झरोखे
रेशमी कुछ सिलवटों पर सो रहे सपने जगाऊँ
इक सुबह ऐसी खिले जब जश्न सा
तुझको मनाऊँ

साँझ की दीवानगी से कुछ महकते पल चुराकर
गुनगुनाती इक सुबह की जेब में रख दूँ छिपाकर
थाम कर जाते पलों का हाथ लिख दूँ इक कहानी
उस कहानी में लिखूँ बस नाम तेरा सब मिटाकर
हर छुपे एहसास को फिर
रंग में तेरे भिगो कर
काश ऐसा हो कभी मैं साथ
अपना गुनगुनाऊँ

मौन का संदल छिड़कती साँस थोड़ी चुलबुली हो
नेह के अनुवाद में हर ओट जैसे अधखुली हो
ले सुनहरा इत्र चारों ओर फैले रौशनी फिर
हर छुअन में गीत हो संगीत हो लय सी घुली हो
एक दूजे को सुनें
सुनते रहें बस मुस्कुराकर
मन कहे जो बात, वो हर बात मैं
तुझको बताऊँ

कुछ पलों की रौशनी से ज़िंदगी में अर्थ भरकर
चल पड़ूँ संतृप्ति का सागर लिए पूरा निखर कर
मंत्र बन गूँजे हमेशा तू हृदय की वादियों में
और मैं अलमस्त झूमूँ राह में जब-तब ठहर कर
मंदिरों की चौखटों से
खोल गिरहें चाहना की
मन्नतों की पूर्णता पर दीप नत
हो कर जलाऊँ

- डॉ. प्राची

इस माह

गीतों में-

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डॉ. प्राची

अंजुमन मे-

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सतपाल ख़याल

छंदमुक्त में-

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शशिकांत गीते

दिशांतर में-

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हरिहर झा

दोहों में-

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देवेश दीक्षित देव

विज्ञानकु में-

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सुभाषचंद्र लखेड़ा

विगत माह
जलेबी विशेषांक में

गीतों में- अमित खरे, आकुल, आदर्शिनी श्रीवास्तव, आभा खरे, कृष्ण भारतीय, जगदीश पंकज, दिव्या राजेश्वरी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, निशा कोठारी, प्रभुदयाल श्रीवास्तव, प्रमोद जोशी, पुष्प लता शर्मा, भावना तिवारी, मधु शुक्ला, मधु संधु, रंजना गुप्ता, राकेश खंडेलवाल, शशि पाधा, शीला पांडे, शैलेश गुप्त वीर, सुरेन्द्र कुमार शर्मा, सुरेन्द्रपाल वैद्य, सुशील शर्मा, हरिहर झा। अंजुमन में- अजय जनमेजय, आभा सक्सेना दूनवी, जय चक्रवर्ती, परमजीत कौर रीत, रमा प्रवीर वर्मा, रामअवध विश्वकर्मा। छंदमुक्त में- मंजु महिमा, मंजुल भटनागर, प्रियदर्शन, वीरेन डंगवाल, सुधीर श्रीवास्तव। दोहों में- ज्योतिर्मयी पंत, मंजु गुप्ता और सुबोध श्रीवास्तव

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन