अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में दिनेश ठाकुर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आईने से
आँगन का ये साया
ज़ख्म़ी होठों पे
जाने दिल में
गम मेरा
ढलती शाम है
तू जबसे मेरी
थक कर
दूर तक
नई हैं हवाएँ
बदन पत्थरों के
मुकद्दर के ऐसे इशारे
मुद्दतों बाद
रूहों को तस्कीन नहीं
शीशे से क्या मिलकर आए
सुरीली ग़ज़ल
हम जितने मशहूर
हम दीवाने
हर तरफ़

हो अनजान

  रूहों को तस्कीन नहीं

रूहों को तस्कीन नहीं हो, जिस्मों को आराम नहीं
ऐसी राह चुनो मत लोगों, जिसमें सुबहो-शाम नहीं।

चलते-चलते थक जाओगे इक दिन तब तुम सोचोगे
घर तजकर जोगी बनने का कुछ भी तो इनआम नहीं।

हर चाबी से खुल जाए दिल, ऐसा भी नामुमकिन है
यह कुछ ख़ास समय खुलता है, यह दरवाज़ा आम नहीं।

अभी यहाँ से गुज़रा है फिर एक ग़ज़ाला सोने का
सीता जी अब ज़िद मत करना अब लछमन अब राम नहीं

सब क़ब्रों पर वही मुक़द्दस-सी ख़ामोशी छाई थी
कुछ कत्बे ऐसे भी देखे, जिन पर कोई नाम नहीं।

कल ये होगा, कल वो होगा, बहरे हो गए सुन-सुन कर
अहले-सियासात की नज़रों में तक़रीरों का दाम नहीं।

ख़ाली हाथ दुकां से निकले, हम ख़ुद को यों बहलाते
क्या लाना घर में वो चीज़ें, जिनका कोई काम नहीं।

इसकी फ़सीलों में सद आहें और बुनियाद में टूटे दिल
इस मस्कन में मेरा अल्लाह, इसमें मेरा राम नहीं।

झेल चुके विपदाएँ सारी गर्मी-सर्दी-बारिश की
तूफ़ानों से डर जाएँ अब इतने भी गुलफ़ाम नहीं।

कुछ मासूम ख़ताएँ हों, कुछ जौक़े-असीरी हासिल हो
यह भी कोई बसर हुई कि थोडे भी बदनाम नहीं।

जब तरतीब दी ख़ुद को हमने आख़िर तब ये राज़ ख़ुला
हम वो मुसलसल-सा अफ़साना, जिसका कु्छ अंजाम नहीं।

अपनी क़िस्मत उन ग़ज़लों-सी, जिनको सुनकर जग रोया
जिनके हर मतले में आँसू, पर मकते में नाम नहीं।

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter