अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में गौतम राजऋषि की
रचनाएँ -

नई रचनाओं में-
अबके ऐसा दौर
एक मुद्दत से
उँड़स ली
खबर मिली है
जल गई है फ़सल

वो जब अपनी खबर

अंजुमन में-
दूर क्षितिज पर सूरज चमका
सीखो आँखें पढ़ना
हवा जब किसी की कहानी
हादसा हो जाएगा

  वो जब अपनी खबर

वो जब अपनी खबर दे है
जहाँ भर का असर दे है

चुराकर कौन सूरज से
ये चंदा को नजर दे है

है मेरी प्यास का रुतबा
जो दरिया में लहर दे है

कहाँ है जख्म औ मालिक
यहाँ मरहम किधर दे है

रगों में गश्त कुछ दिन से
कोई आठों पहर दे है

जरा-सा मुस्कुरा कर वो
नयी मुझको उमर दे है

रदीफ़ो-काफ़िया निखरे
गजल जब से बहर दे है

५ अप्रैल २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter