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बारिशों में नहाना
मुझको खंजर
यार पुराने
यों ही उदास है दिल
वो नज़रों से

अंजुमन में-
आँखें पलकें गाल भिगोना
ख्वाब देखे थे
गुमसुम तनहा
जरा सी देर में
शजर पर एक ही पत्ता
सहमा सहमा

  बारिशों में नहाना

बारिशों में नहाना भूल गए
तुम भी क्या वो ज़माना भूल गए

कम्प्यूटर किताबें याद रहीं
तितलियों का ठिकाना भूल गए

फल तो आते नहीं थे पेडों पर
अब तो पंछी भी आना भूल गए

यूँ उसे याद कर के रोते हैं
जैसे कोई ख़जाना भूल गए

मैं तो बचपन से ही हूँ संजीदा
तुम भी अब मुस्कराना भूल गये

१७ मई २०१०

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