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आदमी क्या
इक नई कशमकश
खेत सारे छिन गए
नज़र में आजतक
बहन बेटियाँ
बहुत नज़दीक
बाबू जी

मन में मेरे

 

बहन बेटियाँ

दिल में सौ दर्द पाले बहन -बेटियाँ
घर में बाँटें उजाले बहन -बेटियाँ

कामना एक मन में सहेजे हुए
जा रही हैं शिवाले बहन - बेटियाँ

ऐसी बातें कि पूरे सफर चुप रहीं
शर्म की शाल डाले बहन - बेटियाँ

हो रहीं शादियों के बहाने बहुत
भेड़ियों के हवाले बहन - बेटियाँ 

गाँव -घर की निगाहों के दो रूप हैं
को कैसे संभाले बहन - बेटियाँ

६ दिसंबर २०१०

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