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अंजुमन में—
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पूछूँ मैं भला कैसे
बरसों निभाया
शाम से उदासी
हज़ारों नेकिया

  पूछूँ मैं भला कैसे

पूछूँ मैं भला कैसे, दिलकश फ़िज़ाओं से
आती नहीं है अब क्यों, खुश्बू हवाओं से

हम पी रहे हैं साक़ी, लेकिन है होश बाकी
मदहोश मत बनाओ अपनी अदाओं से

आखिर वो आ गया है, ज़माने की राह रे
कब तक कोई लड़ेगा, मुख़ालिफ़ हवाओं से

होने को है उजाला सूरज मचल रहा है
कब तक जलेगी शमआ अपनी अदाओं से

तिनकों का आशियाँ था बेदर्द ज़माने में
शिकवा नहीं है कोई ज़ालिम हवाओं से

२१ सितंबर २००९

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