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अनुभूति में रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-

नयी रचनओं में
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
दिल ये चाहता है
बस यही इक गम रहा
मत खराब कर

अंजुमन में-
अगर प्यार से
तुमको सदा माँगते हैं
नहीं मुश्किल
बात बने
यों न फासला रखना

 

काम जब बनता नहीं

काम जब बनता नहीं है सोचने के बाद भी
नींद तब आती नहीं है लेटने के बाद भी

कब यहाँ मिलती हैं खुशियाँ माँगने के बाद भी
मौत ने कब दी है मोहलत चाहने के बाद भी

जीत की खुशियाँ मनाना जिंदगी में तुम मगर
हौसले मजबूत रखना हारने के बाद भी

रोज ही आता है सूरज ये बताने के लिए
कम नहीं होते उजाले बाँटने के बाद भी

टूट जाओ गर कभी हालात से तो सोचना
फूल तो देता है खुशबू टूटने के बाद भी

गम के हों चाहे ख़ुशी के अश्क भी क्या खूब हैं
रुक न पाते आँख में ये रोकने के बाद भी

ठोकरों के डर से रुक जाना कभी मत राह में
कब बदलतीं रुख हवाएँ टोकने के बाद भी

१ सितंबर २०१८

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