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अभिनव शुक्ल

कवि अभिनव शुक्ल संप्रति में एक शीर्ष भारतीय साफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मेरठ, नौगांव (असम) एवं लखनऊ से प्राप्त की तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई बरेली से पूरी करी। इसी बीच उनकी कविता यात्रा प्रारंभ हुई और आगे बढ़ी।

लखनऊ के प्रतिष्ठित लक्ष्मण मेले में आयोजित कवि सम्मेलन में काव्य पाठ से राष्ट्रीय मनचित्र पर अभिनव का पदार्पण हुआ।अमेरिका के हार्वड, प्रिंसटन एवं कनेक्टिकट विश्वविद्यालयों के सभागारों में कविताओं का पाठ कर चुके अभिनव कुछ समय तक दक्षिण से प्रकाशित होने वाले दैनिक में नियमित व्यंग्य स्तंभकार भी रहे हैं।

पुस्तकें : 'अभिनव अनुभूतियाँ' (२००५)
'कोहरे की परछाइयाँ' तथा 'तुम हँसो मैं गाऊँ'
ई मेल:
shukla_abhinav@yahoo.com
जालघर : कवितावली तथा काव्यस्थान

 

अनुभूति में अभिनव शुक्ला की रचनाएँ -
गीतों में-
अंतिम मधुशाला (हरिवंशराय बच्चन को श्रद्धांजलि)

अपने दिल के हर आँसू को
आवाज़ें

नहीं बयान कर सके
बांसुरी
वक्त तो उड़ गया
शान ए अवध
है बड़ी ऊँची इमारत

ज़िन्दगी है यही


हास्य-व्यंग्य में -
इंटरव्यू
काम कैसे आएगी
गांधी खो गया है
जेब में कुछ नहीं है
मुट्टम मंत्र
विडंबना


संकलन में
ज्योति पर्व -वो काम दिवाली कर जाए
                खुशियों से भरपूर दिवाली
गाँव में अलाव - कैसी सर्दी
प्रेमगीत - भावों के धागों को
गुच्छे भर अमलतास
नया साल-अभिनव नववर्ष हो
ममतामयी-मेरा आदर्श

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