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अनुभूति में चंद्र मोहन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अंतहीन तारों के बने फंदे 
खेतों की रात
जमीन पर जमीन की कविता
यह जाने का समय है
सूरज तुम्हारा जीना देख रहा है

 

सूरज तुम्हारा जीना देख रहा है

जिंदगी कितने पृष्ठों की है
और कब तक खत्म होने वाली है 
मतलब पढ़-पढ़ कर।

भूख कब मरेगी 
पेट के भीतर की
कब तक आग की दरकार
बाकी रहेगी
मतलब जी-जी कर जिंदगी की चढ़ाई चढ़-चढ़कर।

दुखों के मेहनतों के आँसू 
व्यर्थ नहीं होंगे 
माँएँ स्त्रियाँ रहेंगी
तो करुणा नहीं जाएगी कहीं
प्रेम भी यहीं रहेगा पीड़ा हरेगा
इसी देश में इसी देह के भेष में पैर से चलेगा

तुम जिंदाबाद का गाना गाओ 
काम का गाना गाओ 
हाथ में श्रमिक हथियार उठाओ 
इतनी निराशा भी ठीक नहीं मित्र 
करो छोटे-छोटे काम धंधे करो 
जिओ खेत में बीज की तरह 
बथुआ की तरह गेहूँ और गीत की तरह
गन्ने की आँखों की तरह 
जियो जियो मेरे जीवन जिओ 
मरो मत
मरने के बारे में सोचो भी मत

तुम्हारे पास अच्छी वजह है अभी जीने की
लगन की।

जीते रहो जीते रहो चंद्र 
सूरज तुम्हारा जीना देख रहा है।

१ मई २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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