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अनुभूति में धर्मेन्द्र कुमार सिंह 'सज्जन' की रचनाएँ-

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चिड़िया की जाँ
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अम्ल, क्षार और गीत
दर्द क्या है
मेंढक
यादें
हम तुम

 

मेढक

मेढक को अगर,
उबलते हुए पानी में डाल दिया जाय,
तो वह उछल कर बाहर आ जाता है;

मगर यदि उसे डाला जाय,
धीरे धीरे गर्म हो रहे पानी में,
तो उसका दिमाग,
उस गर्मी को सह लेता है,
और मेढक उबल कर मर जाता है;

छात्रों को मेढक काटकर,
उसके अंगों की संचरना तो समझाई जाती है,
पर उसके खून का यह गुण,
पूरी तरह गुप्त रखा जाता है,
हमारी सरकार द्वारा;

तभी तो हमारा सरकारी तंत्र,
युवा आत्माओं को,
भ्रष्टाचार की धीमी आँच से,
उबालकर मारने में,
इतना सफल है;

कुछेक आत्माएँ ही,
इस साजिश को समझ पाती हैं,
और इससे लड़ने की कोशिश करती हैं,
पर इस गर्म हो रहे पानी से,
लड़ने का कोई फ़ायदा नहीं होता,
इस पर लगे घाव,
पल भर में भर जाते हैं,
और लड़ने वाले आखिर में,
थक कर डूब जाते हैं,
और खत्म हो जाते हैं;

एक ही रास्ता है इसे खत्म करने का
या तो आग बुझा दी जाय
या पानी नाली में बहा दिया जाय
और दोनों ही काम
पानी से बाहर रहकर ही किए जा सकते हैं
मेढकों से कोई उम्मीद करना
बेकार है।

२७ जून २०११

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