अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

राजेश्वरी पांढरीपांडे

जीवन के प्रारंभ का अधिकांश समय नागपुर मध्य प्रदेश एवम मुंबई में व्यतीत हुआ। मुंबई विश्वविद्यालय से संस्कृत में डॉक्टरेट की उपाधि, ततपश्चात् अमेरिका के इलिनॉय विश्वविद्यालय से भाषाविज्ञान में एम ए एवम् पुन: डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। कुछ समय तक इसी विश्वविद्यालय में हिन्दी शिशण।

संप्रति : इसी विश्वविद्यालय में "प्रोगराम फॉर रिलिजियस स्टडी" की डायरेक्टर एवं भाषाविज्ञान तथा संस्कृत तुलनात्मक साहित्य एवम् रिलिजियस स्टडी के क्षेत्र में अध्यापन और शोध कार्य। विभिन्न शोध पत्रिकाओं में कई शोधपत्र का प्रकाशन। चार पुस्तकें प्रकाशित।

 

अनुभूति में राजेश्वरी पांढरीपांडे की
रचनाएँ -

:छंदमुक्त में-
अपनापन
अभिमानी
उतना ही
खो दिये
चम्मचभर मैं
नासमझ
ये रिश्ते

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter