अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में आलोक शर्मा की
रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
अभिलाषा
तुम
नज़ारे यूँ चहकते हैं

सूनापन
क्षितिज के उस पार

कविताओं में-
आँसू
ढूँढता सहारा
तुमको अंतिम प्रणाम
मेरी चार पंक्तियाँ
लहर

 

तुम

जब तुम आए तो बहार आयी
ज़िंदगी एक सुनहरी शाम लायी
वादियों का गुलदस्ता बन तुम आये
तारों पर भी जैसे एक मुस्कुराहट छायी

यह वीरान जीवन, जैसे खिल उठा हो
रेगिस्तान में, जैसे हरियाली हो
आज हर कोई झूम रहा हो जैसे
मेरे हृदय का आँगन सुन रहा हो वैसे

आप के बिना ये संसार अधूरा था
आप के आने से जहाँ रौशन हो गया

१३ सितंबर २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter