अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अशोक गुप्ता की रचनाएँ-

नई कविताएँ—
अजन्मी
चीं भैया चीं
लंबी सड़क

कविताओं में—
उन दिनों
कैसे मैं समझाऊँ
झूठ
ग़लती मत करना
गुर्खा फ़ोर्ट की हाइक
दादाजी
नदी के प्रवाह मे
पत्थर
पागल भिखारी
भाग अमीना भाग
माँ 
रबर की चप्पल
रेलवे स्टेशन पर
रामला

नदी के प्रवाह में

नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया,
हम कगार पर खड़े,
यहाँ लड़े वहाँ लड़े,
आँख जब खुली पता चला कि कुछ न रह गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

हर बुज़ुर्ग जो मिला हमसे यही कह गया,
देश को सम्हालना,
यूँ ही खो न डालना,
रेत सा ईमान था, ढह गया सो ढह गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

हर गरीब था कि ज़ुल्म हाथ जोड़ सह गया,
हम किनारा कर गए,
दूर से निकल गए,
हमको क्या पड़ी थी लहू बह गया तो बह गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

त्राहि त्राहि मच उठी, यह गया लो वह गया,
हम पोटली पकड़ रहे,
स्वर्ण को जकड़ रहे,
डाकुओं का गिरोह लूटकर सुबह गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

शहर शहर सिहर उठा कि गाँव गाँव दह गया
गली गली सुलग उठी,
वसुंधरा बिलख उठी,
धर्मपाल का अधर्म दे हमें प्रलय गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

हरेक जीव जान में छा अजीब भय गया,
मृत्यु की पुकार सुन,
माँ का चीत्कार सुन,
आसमां भी कैसी कैसी यातनाएँ सह गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

इन्सां बहक बहक उठा कैसी पी वो मय गया,
पढ़े लिखे अनपढ़ हुए,
जो संत थे कुजन हुए,
बापू तुम्हारे स्वप्न का बचा क्या रह गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

अब तो आँख खोल लो, नींद का समय गया,
अपने मन में ठान लो,
अपना सीना तान लो,
फिर न पूछना कहां सूर्य का उदय गया,
नदी के प्रवाह में जो भी था सो बह गया।

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter