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अनुभूति में देवी नागरानी की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
चमन में
बेताबियों को हद से
मैं खुशी से
सुनते हैं कहाँ

अंजुमन में-
आँधियों के पर
क्या कशिश है
खुशी की हदों के पार
गिरा हूँ मुँह के बल
डर
ज़माने से रिश्ता
दिल से दिल तक

दीवार-ओ-दर
दोस्तों का है अजब ढब
फिर पहाड़ों से झरना
बढ़ रही है आजकल

बादे बहार आई
मुझे भा गई
मेरे वतन की ख़ुशबू
रियासत जब भी ढहती है
रो दिए

सदा धूप मे
सीप में मोती

शोर दिल में

कविताओं में-
भारत देश महान

  बेताबियों को हद से

बेताबियों को हद से ज्यादा बढ़ा गया
पिछ्ला पहर था रात को कोई जगा गया

मेरे ख़याल-ओ-ख़्वाब में ये कौन आ गया
दीपक मुहब्बतों के हज़ारों जला गया

कुछ इस तरह से आया अचानक वो सामने
मुझको झलक जमाल की अपने दिखा गया

इक आसमां में और भी हैं आसमां कई
मुझको हक़ीक़तों से वो वाकिफ़ करा गया

पलकें उठी तो उट्ठी ही देवी रहीं मेरी
झोंका हवा का पर्दा क्या उसका उठा गया

१४ फरवरी २०११



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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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