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अनुभूति में धनंजय कुमार की रचनाएँ

अंजुमन में-
क्या इशारे हो गए
दायरा
निगाहों में
पाप और पुण्य
रंग फीका पड़ रहा
रेत का तूफ़ान
रौशनी का तीर
सफ़र का बहाना

  रेत का तूफ़ान

रेत का तूफ़ान है और कूच का वादा मेरा
रास्ते संगीन हैं, पर दिल बहुत सादा मेरा।

इन लकीरों पर टिकी दुनिया, इसे गिरने न दो
मत झुकाओ तुम निगाहें, हो न सर ऊँचा मेरा।

प्यार का नफ़रत से पहले मुझको छूकर देख लो
मैं तुम्हारे सामने हूँ या कि है नक्शा मेरा।

साथ चलना है मेरे तो उस तरफ़ जाते हो क्यों
जिस जगह से आए हो, उस ओर है रास्ता मेरा।

सामने वालों के मुझ पर सैंकड़ों अहसान हैं
छुप के जो बैठे हुए हैं, उनसे है रिश्ता मेरा।

तुम मेरे बिखरे हुए टुकड़ों को फिर से जोड़ दो
दिल मेरा भेजे में है और पीठ पर चेहरा मेरा।

सब मेरी सौग़ात इस मुट्ठी में है, ले लो इसे
उँगलियों के बीच जो रह जाएगा, उतना मेरा।

देखते-ही-देखते यों बढ़ गई कीमत मेरी
हथकड़ी हीरों की है और रेशमी फंदा मेरा।

9 सितंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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