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अनुभूति में कृष्ण बिहारी की रचनाएँ -

गीतों में—
आवारा मन
कितने तूफ़ानों से
कुछ न कहूँगा
गीत गुनगुनाने दो
तुम आए तो
तुम साथ चलो
दिल हँसते हँसते रोता है
दूर न जाते
देवता मैं बन न पाया
प्रीत- नौ चरण
राह जिस पर मैं चलूँ
रुपहले गीत का जादू
वही कहानी
साथ तुम्हारे
स्मृति

संकलन में—
ज्योतिपर्व   –  चाँदनी की चूनर ज़मीं पर है
          –  मत समझो पाती
जग का मेला – झरना

 

साथ तुम्हारे

साथ तुम्हारे ही चलकर के दूर और कुछ जाना है
पथ से है पहचान तुम्हारी पथ मेरा अनजाना है

चिर-परिचत से मुझे लगे हो
शायद जन्मों साथ रहे हो
या फिर कोई और बात है
सुख-दुख जो तुम साथ सहे हो
मुझको तो ऐसा लगता है मन जाना-पहचाना है
पथ से है पहचान तुम्हारी पथ मेरा अनजाना है

मिलना और झगड़ना मिलकर
यह तो अपनी आम बात है
जीत मिली हे हरदम तुमको
मुझको तो बस मिली मात है
सारी उम्र मुझे तो शायद हरदम तुम्हें मनाना है
पथ से है पहचान तुम्हारी पथ मेरा अनजाना है

जब-जब भी मिल जाते हो तुम
मन पर चाँद उतर आता है
दूर तुम्हारे होते ही पर
सुख जैसे सब छिन जाता है
बहुत रोकता हूँ मैं आँसू पर वह तो बाहर आना है
पथ से है पहचान तुम्हारी पथ मेरा अनजाना है

अपने पीछे था कल बचपन
आज द्वार पर आया यौवन
कल तक कोई रोक नहीं थी
आज लग गए मन पर बंधन
इनसे डरकर मेरे मन अब और नहीं घबराना है
पथ से है पहचान तुम्हारी पथ मेरा अनजाना है

प्रेम हमारा दीया-बाती
या फिर है यह चातक-स्वाती
निश दिन इसको बढ़ना ही है
जैसे नदिया चलती जाती
हमको भी तो मंज़िल अपनी आज नहीं कल पाना है
पथ से है पहचान तुम्हारी पथ मेरा अनजाना है
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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