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  दूरगामी सच

छंद-क्षणिकाओं में
जीने वाले लोग
क्षणिक, तत्पर
बातों का मूल्य
ज़्यादा देतें हैं
दूरगामी परिणाम से
अक्सर अनभिज्ञ रहते हैं
स्थिर वर्तमान में
जीने को ही
सबकुछ कहते हैं

क्योंकि,
हासिल के तराज़ू में
भविष्य का वज़न
हाशिये में रखना
उनका काम है-
और आगामी सोच पर
बनाई गयी ख़ास नीति
उनके लिये
दूर का परिणाम है

वो क्या जानें कि-
क्षणिक लाभ की
अस्थाई उपलब्धि
सुनहरे भविष्य के
काँधे पर
अरथी की तरह
कभी नहीं उठाई जाती !

१६ जुलाई २०१२

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