अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में ॉ. कृष्ण कन्हैया की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
कटिबद्धता
कालजयी
दूरगामी सच
झाँवा पत्थर
प्रमाणिकता

अंजुमन में-
कहने सुनने की आदत
क्षण-क्षण बदलाव
जिन्दगी मुश्किल मेरी थी

यादें

छंदमुक्त में-
अतिक्रमण
आयाम
उम्दा
एहसान
किताब ज़िंदगी की
खाई
खुशी
चरित्
छाया
जिन्दगी का गणित
जिन्दगी की दौड़
रेशमी कीड़ा
रात
ललक
वस्त्र
विचार
विवेक
वैमनस्य

सामीप्य
सौदा

  झाँवा पत्थर

पाँच रुपये का
जादुई झाँवा पत्थर
खुरच कर
उतार देता है-
सारा मैल
तन का

पर
उतार नहीं पाता
एक भी परत
मन की

तलाश है हमें
उस पत्थर की
जो
उतार पाये
मन का मैल,
खरोंच लाये
अंदर की व्यथा
जिसके कटोरे में
बसी हो
गंगा की निर्मलता,
और छलछलाता हो
सच्ची निश्छलता

चाहे क्यूँ न
जिगर
लहूलुहान कर दे
जिस्म पर
निशान कर दे

१६ जुलाई २०१२

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter