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अनुभूति में रंजना सोनी की रचनाएँ-

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बयार
भाव
मधुयामिनी
शरद ऋतु

  बयार

भावनाओं की गर्म बयार
हवा में भी है चिनचिनाहट।

उष्णता बढ़ी
झकझोर दिया
अवनी के झंझावातों ने।
झुलस गया मन
स्निग्धता गयी झुलस
हो गयी विरक्त हूँ
सांसारिक बनाव से।

गर्मी का पवन तपन का मौसम।
मोह नष्ट हो रहा हो रहा विलगाव
कृत्रिम लगाव से।
रवि के रूप प्रचंड
देख रही ये आँखे
अम्बर को
कब आती रिमझिम फुहारें।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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