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अनुभूति में डॉ. क्षिप्रा शिल्पी की रचनाएँ-

गीतों में-
माँ का आँचल भूल गये
कृष्ण फिर एक बार आओ
हमें तो गर्व है जन्मे है आर्य भूमि में

छंदमुक्त में-
माँ आपके लिये

अंजुमन में-
अभिलाषा खुशियों की

  माँ का आँचल भूल गये

धन दौलत की खातिर अपना
सारा दल बल भूल गये
मैया छोडी, बाबा छोड़े
घर का शत दल भूल गये

कैरी, इमली, सोंधी रोटी
भूले माटी की खुशबू
पैसे खनकाती दुनिया में
माँ का आँचल भूल गये

टेढ़ी मेढ़ी राह चले पर
पाँव जमी पर रहते थे
दूर गगन में उड़ने वाले
अपनों का बल भूल गये

चाचा मामा ताया भौजी
हर नाता पहचाना था
अंजानों की इस बस्ती में
सुख का हर पल भूल गये

बहुत दिया इस दौलत ने पर
कीमत बहुत चुकाई है
झूठे सुख की खातिर शिल्पी
घर का बादल भूल गये

१ अगस्त २०२२

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