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अनुभूति में उषा राजे सक्सेना की रचनाएँ-

कविताओं में
अस्तित्व की पहचान
इंद्रधनुष
तितली उड़ी
पदचिह्न
पुनर्जनम
लंदन का वसंत
सर्मपण
यात्रा का आरंभ

अंजुमन में
जब भी कोई कहानी लिखना
ज़िन्दगी को स्वार्थ का
प्यार में भी कहीं
परिंदा याद का
फ़िज़ाँ का रंग
रात भर काला धुआँ

संकलन में-
ज्योति पर्व-दीपावली के आलोक मे
आशा के दीप
आलोक पर्व

  परिंदा याद का

परिंदा याद का, मेरी मुँडेरी पर नहीं आया
कोई भटका हुआ राही पलट कर घर नहीं आया

सभी ने ओढ़ कर चादर उदासी की यही सोचा
शज़र पर क्यों बहारों का नया मंज़र नहीं आया

उसे डर था कि छूने से कहीं मुरझा न जाए वो
इसी डर से वो नाज़ुक फूल को छू कर नहीं आया

मुखौटा-दर-मुखौटा थी हँसी, बस इसीलिए ही तो
छुपा था जो मुखौटे में, नज़र खंजर नहीं आया

चुभे है दिल में 'तेरे ऐ' 'उषा' कुछ दर्द के काँटें
है अचरज क्यों उभर कर आह का इक स्वर नहीं आया।

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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