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अनुभूति में हरिवंशराय बच्चन की रचनाएँ-

गीतों में-
इस पार उस पार
एकांत संगीत
क्या भूलूँ क्या याद करूँ
कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ
कोई पार नदी के गाता
जीवन की आपाधापी में
जो बीत गई सो बात गई
ड्राइंगरूम में मरता हुआ गुलाब
तुम मुझे पुकार लो
दिन जल्दी-जल्दी ढ़लता है
पथ की पहचान
बहुत दिनों पर
मेरा संबल
युग की उदासी
लहरों का निमंत्रण

संकलन में--
ज्योति पर्व- आज फिर से, आत्मदीप
प्रेमगीत- आदर्श प्रेम
मेरा भारत- आज़ादी का गीत, चल मरदाने

गौरव ग्रंथ में--
मधुशाला

  युग की उदासी

अकारण ही मैं नही उदास।

अपने में ही सिकुड़ सिमट कर
जी लेने का बीता अवसर
जब अपना सुख दुख था अपना ही उछाह उच्छ्वास।

अकारण ही मैं नहीं उदास।

अब अपनी सीमा में बँधकर
देश काल से बचना दुष्कर
यह सम्भव था कभी नही पर सम्भव था विश्वास।

अकारण ही मैं नही उदास।

एक सुनहले चित्र पटल पर
दाग़ लगाने में है तत्पर
अपने उच्छृंखल हाथों से उत्पाती इतिहास।

अकारण ही मैं नही उदास।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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