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अनुभूति में शिवमंगल सिंह 'सुमन' की रचनाएँ-

कविताओं में :
अंगारे और धुआँ
तूफ़ानों की ओर
चलना हमारा काम है
मेरा देश जल रहा
विवशता
सूनी साँझ

संकलन में-
वर्षा मंगल - मैं अकेला और पानी बरसता है
प्रेमगीत - आँखें नहीं भरी
गुच्छे भर अमलतास- चल रही उसकी कुदाली
ज्योतिपर्व- मृत्तिका दीप

  विवशता

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार
पथ ही मुड़ गया था!

गति मिली, मैं चल पड़ा,
पथ पर कहीं रुकना मना था।
राह अनदेखी, अंजाना देश
संगी अनसुना था।।

चाँद सूरज की तरह चलता,
न जाना रात दिन है?
किस तरह हम-तुम गए मिल,
आज भी कहना कठिन है।

तन न आया माँगने अभिसार
मन ही मन जुड़ गया था।
मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार
पथ ही मुड़ गया था।।

देख मेरे पंख चल, गतिमय
लता भी लहलहाई
पत्र आँचल में छिपाए मुख -
कली भी मुस्कराई।।

एक क्षण को थम गए डैने,
समझ विश्राम का पल।
पर प्रबल संघर्ष बनकर,
आ गई आँधी सदल-बल।।

डाल झूमी, पर न टूटी,
किंतु पंछी उड़ गया था।
मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार,
पथ ही मुड़ गया था।।

(पर आँखें नहीं भरीं' से)

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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