अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
आँखें रहते सूर हो गए
अपने सपने
चुप न रहें
मीत तुम्हारी राह हेरता
मौन रो रही कोयल
संध्या के माथे पर

गीतों में-
ओढ़ कुहासे की चादर
कागा आया है
पूनम से आमंत्रण
मगरमचछ सरपंच
सूरज ने भेजी है

दोहों में-
फागुनी दोहे

  सूरज ने भेजी है

सूरज ने भेजी है
वसुधा को पाती,
संदेसा लाई है
धूप गुनगुनाती...

आदम को समझा
इंसान बन सके
किसी नैन में बसे
मधु गान बन सके
हाथ में ले हाथ
सुबह सुना दे प्रभाती...

उषा की विमलता
निज आत्मा में धार
दुपहरी प्रखरता पर
जान सके वार
संध्या हो आशा के
दीप टिमटिमाती...

निशा से नवेली
स्वप्नावली उधार
माँग श्वास संगिनी से
आस दे सँवार
दिवाली अमावस के
दीप हो जलाती...

आशा की किरण
करे मौन अर्चना
त्यागे पुरुषार्थ स्वार्थ
करे प्रार्थना
सुषमा-शालीनता हों
संग मुस्कुराती...

पावस में पुष्पाये
वंदना विनीता
सावन में साधना
गुंजाये दिव्य गीता
कल्पना ले अल्पना
हो नर्मदा बहाती...

११ मई २००९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter