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अनुभूति में अनूप अशेष की कविताएँ-

नए गीत-
आवाजों के खो जाने का दुख कितना
इतने बरसों बाद

एक चिड़िया आई
दस देहों की गंध
नदी बाढ़ के
परछाईं मछली की
बानी माँग रहे
सपने का झुनझुना
सीढ़ी लगे उतरने
हरी घास पीली दूबों पर

गीतों में-
दिन चार ये रहें
दुख पिता की तरह
पत्तियों जैसा झरा
मकड़ी के जाले

संकलन में-
वसंती हवा – देह का संगीत
धूप के पाँव– कोई चिड़िया नहीं बोलती

दोहों में-
फागुनी दोहे

 

सपने का झुनझुना

किसके लिए दहकती सुबहें
गली हुई
बूढ़ी महराजिन

बड़े द्वार की ड्योढ़ी जैसे
बूढ़े बच्चे काम-धाम में,
खाली पिंजड़े में
डैने हैं
क्या रखा मुर्दा-मुकाम में

चिड़िया नई डाल पर बैठे
छोड़ा घोंसला
जैसे हो घिन

एक कटोरे में दुपहर की
जैसे पूरी उमर भरी हो,
काँपे पाँव
झुर्रियाँ पहने
माई की हर चीख मरी हो

सपने का झुनझुना रात में
लेकर आती
दिन की बाँझिन

२५ फ़रवरी २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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