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अनुभूति में कृष्ण नंदन मौर्य की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
अंधे न्यायालय को
कटा कटा गाँव
कस्तूरी की गंध
जादू वाली छड़ी
जिस आखर से खुले

गीतों में-
अब मशीने बोलती हैं
क्या उड़ने की आशा
नदिया के उस पार
मन को भाता है
रहे सफर मे

संकलन में-
विजय पर्व- राम को तो आज भी वनवास है

नया साल- नये वरस जी
शुभ दीपावली- उजियारे की बात
जग का मेला- तितली

 

मन को भाता है

जग से तुमको अपना कहना
कितना मन को
भाता है

निकल घरों
से साँझ सुरमई ढलते–ढलते
नदिया की लहरों की लय पर चलते–चलते
संग तुम्हारे सपने बुनना कितना
मन को भाता है

साहिल से
लगती नावें उडुगन की पाँते
सुर्ख क्षितिज सी अंतहीन कितनी ही बातें
मीत तुम्हारे लब से सुनना कितना
मन को भाता है

संन्ध्या के अरुणिम
मुख पर ज्यों झुकता बादल
तेरे चेहरे पर मेरे हाथों का संबल
आँचल के संग मन का उड़ना कितना
मन को भाता है

२९ अप्रैल २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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