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अनुभूति में मृदुल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
कड़ी धूप में
कुछ भी बदला नहीं
राजा रहा नचा
सोनकली

गीतों में-
आँख दिखाई है
कठिन समय है
किसी की याद आई
खत मिला
गीत छौने
जोड़ियों को तो बनाता है सदा रब
दूर ही रहो मिट्ठू

पितृपक्ष में
भूल की
यह मत पूछो
रस्मी प्रणाम से

संकलन में-
तुम्हें नमन- क्षमा बापू


 

 

सोनकली

बापू ने तो नाम धरा था
उसका सोनकली।
लेकिन
माँ अक्सर कहती है
उसको करमजली।

रोज भुरहरे
घर आँगन में
झाड़ू ले जुटना।
लीपा पोती
चौका बर्तन में
दिन घर खटना।
बासी-कूसी खाकर भी
खुश रहती है पगली।

देर रात तक
दौड़ दौड़
घर का सब काम करे।
तिस पर भी
जाने क्यों अम्मा
रह-रह कर बिफरे।
एक पैर पर नाचा करती है
जैसे तितली।

१ जून २०१५

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