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अनुभूति में निर्मला जोशी की
रचनाएं-

नए गीतों में-
तुम क्या जानो हम क्या जानें
नई करवट
बेटियाँ
रश्मि-पत्रों पर
रोशनी की याचना

गीतों में-
आ गया है मन बदलना
आलोचना को जी रही हँ
गाँव वृंदावन करूँगी
गीतों के हार
चलते चलते शाम हो गई

दर्पन है सरिता
पर्वत नदियाँ हरियाली
पानी लिख रही हूँ
बुन लिया उजियार मैने
मन अभी वैराग्य लेने
शरद प्रात का गीत
सूर्य सा मत छोड़ जाना

संकलन में—
ज्योति सत्ता का गीत   

 

तुम क्या जानो हम क्या जानें

तुम क्या जानो हम क्या जानें
क्या हुआ
क्या नहीं हुआ है
हाँफ रहा है समय बेचारा
सुनो, किसी की यही दुआ है

रंगहीन
हो गई दिशाएँ
बहती है विपरीत हवाएँ
गीत बेसुरे जाने क्यों हैं
पिंजरे में सो रहा सुआ है
तुम क्या जानो हम क्या जानें
क्या हुआ
क्या नहीं हुआ है

मन-सितार
औंधा लेटा है
देह राग रोता गाता है
नहीं उभरते चित्र कहीं भी
जाने क्या अपशकुन हुआ है
तुम क्या जानो हम क्या जानें
क्या हुआ
क्या नहीं हुआ है

नदिया-
नदिया सूखा पानी
अम्मा की छूटी गुड़धानी
गाँव गाँव घुस गया शहर है
जाने किसने इन्हें छुआ है
तुम क्या जानो हम क्या जानें
क्या हुआ
क्या नहीं हुआ है

६ अप्रैल २००९

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