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ख़यालों में

  ख़यालों में

ख़यालों में किसको छुए जा रहे हैं,
पसीने-पसीने हुए जा रहे हैं।

सरेशाम किस पर गिरानी है बिजली,
जो लट आज चेहरे पे लहरा रहे हैं।

छिपाए नहीं छिप रही बेकरारी,
इधर जा रहे हैं, उधर जा रहे हैं।

है बालों पे शबनम नज़र में खुमारी,
किसी कत्ल करके चले आ रहे हैं।

लरजता हुआ ये बदन काफ़िये सा,
तरन्नुम में जैसे ग़जल गा रहे हैं।

२४ जुलाई २००६

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