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अनुभूति में ओम प्रकाश तिवारी की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये

गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
बूँद बनी अभिशाप

कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ

अंजुमन में-
ख़यालों में

 

न्याय चाहिए

महामहिम जी,
न्याय चाहिए

लाठी-गोली पुलिस की टोली
नेताओं की मीठी बोली
पानी की वो तेज फुहारें
आँसू गैस खून
की होली

ऐसे जुल्म जबर्दस्ती का
अब हमको पर्याय
चाहिए

कभी कोख में मरना पड़ता
कभी-खाप-को-सुनना-पड़ता
महानगर की सड़कों पर भी
डर-डर के है चलना
पड़ता

घिसे पिटे पाठों से हटकर
एक नया अध्याय
चाहिए

करके जुल्म छूटते कामी
मिलती है हमको बदनामी
लाचारी कानून दिखाए
लोग निकालें
मेरी खामी

बहुत हुई असहाय व्यवस्था
अब तो कोई उपाय
चाहिए

२४ दिसंबर २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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