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अनुभूति में रमेश पंत की रचनाएँ— 

गीतों में-
आए हम शहर
गंधपूरित हैं हवाएँ
गूँगे प्रश्न हुए
नेह भीगे पत्र
स्वर्णपंखी साँझ
सूखी नदी-सा

 

  आए हम शहर

आए हम शहर
गाँव नेहों का भूल गए!

चेहरों पर एक नहीं
अनगिन हैं पर्तें
कितनी जो जीने की
ऐसी हैं शर्तें

जामनु की छाँव
नीम-बरगद को भूल गए!

कैसे तो दाँव यहाँ
रोज़ लोग चलते
औरों की कौन कहे
अपनों को छलते

कागा का काँव
.यहाँ आकर हम भूल गए!

कुछ ऐसी भाग-दौड़
भीतर तक टूटे
सपने जो लाए थे
संग-साथ छूटे

आए थे पाने कुछ,
खुद को ही भूल गए!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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