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अनुभूति में रमेश पंत की रचनाएँ— 

गीतों में-
आए हम शहर
गंधपूरित हैं हवाएँ
गूँगे प्रश्न हुए
नेह भीगे पत्र
स्वर्णपंखी साँझ
सूखी नदी-सा

  गूँगे प्रश्न हुए

उत्तर कहाँ तलाशें
लगता वे ही प्रश्न हुए!

फूलों की
मोहक बस्ती में
प्रस्तुत हुए बबूल
रंग-गंध की
भाषाओं के
घायल हुए उसूल

कत्लगाह में
यहाँ रोज़ ही
जमकर जश्न हुए!

ना जाने
खो गए कहाँ वे
दूध-धुले एहसास
गुलमोहर की
शामें अक्सर
मिलतीं बहुत उदास

क्या-कुछ सुनें-सुनाएँ
अब तो गूँगे प्रश्न हुए!

२४ अगस्त २००९

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