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अनुभूति में रमेश पंत की रचनाएँ— 

गीतों में-
आए हम शहर
गंधपूरित हैं हवाएँ
गूँगे प्रश्न हुए
नेह भीगे पत्र
स्वर्णपंखी साँझ
सूखी नदी-सा

  नेह-भीगे पत्र

फूल जो हमने किताबों में
सहेजे थे-
बहुत ही याद आए
नहीं तुम पास आए!

नर्म-कोमल
दूब पर हमने लिखे जो
नेह के अक्षर
ढूँढ़ने होंगे
वही फिर गंध अब भी
घाट के पत्थर
इंद्रधनुषी स्वप्न जो हमने
सहेजे थे-
बहुत ही याद आए
नहीं तुम पास आए!

दूधिया रातें
अकेले बैठ चुपचुप
गुनगुना उठना
याद कर जैसे
कहीं-कुछ मन ही मन में
खिलखिला उठना

नेह-भीगे पत्र जो हमने
सहेजे थे-
बहुत ही याद आए
नहीं तुम पास आए!

२४ अगस्त २००९

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