अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में आस्था की रचनाएँ-

छंदमुक्त में
किला
खुद से शिकायत
तुम्हारी याद
बेमौसम
रिश्ता

क्षणिकाओं में-
आस्था की क्षणिकाएँ

हाइकु में
दोस्त शुक्रिया

संकलन में
वर्षा मंगल – अनोखा अहसास
ज्योतिपर्व – ऐसी दीवाली
        – इस साल भी
गाँव में अलाव– असह्य शीत
           – अबके शरद
           – अपनापन
होली– यह कैसी होली
शुभकामनाएँ– सात रंग
प्रेमगीत– लगन लगी
गुच्छे भर अमलतास – तपन, तलाश

  रिश्ता

वह हैं गुमसुम से मगर,
दिल एक तूफानी समंदर
की तरह
मै हूँ चंचल, श्वेत,
बहती नदिया
की तरह

उनको पाना, छूना,
है एक ख्वाब की तरह
समंदर की लहरों
की तरह मुक्त हैं,
बँधते नही
किनारों में कभी.

मैं न्योछावर, समर्पित
हूँ एक पुजारन की तरह
मन में बसा के उन्हें,
मर्यादा में बहती हूँ,
किनारों से हमेशा
बँधके रहती हूँ मैं

फिर भी अपनी मीठास
उन में मिलाती हूँ मैं,
उन में समाकर,
उनकी खराश को
मिटाती हूँ मैं !!


 
 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter