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ये अशोक के वृक्ष
 

ये अशोक के वृक्ष घनेरे
कितने सुन्दर मनभावन हैं

प्रहरी बनकर खड़े रहे हैं
हर मौसम में हरे रहे हैं
मंद मंद बहते समीर को
महकाते जैसे मधुवन हैं

बहुत घनेरी छाया इनकी
संबल बनती थके पथिक की
गर्मी में राहत पँहुचाती
खिल जाते मुरझाए मन हैं

औषधीय गुण सब हैं इनमें
पुष्प छाल औ' जड़ पत्तों में
ये स्वास्थ्य के रक्षक बन कर
महकाते हर घर- आँगन हैं

आओ पर्यावरण बचाएँ
सुन्दर अपनी धरा बनाएँ
 सभी जगह को हरा भरा कर
समझें यही कर्म पावन हैं

- सुरेन्द्रपाल वैद्य  

१ अगस्त २०१८

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