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देवदार क्या कहे
 

पूजा-उत्सव की घाटी में
समय जड़ गया है सन्नाटे
देवदार क्या कहे किसी से!

एक ग्लेशियर उबल रहा है
देवदार में भीतर-भीतर
वनदेवी निर्वाक,राजसी
निर्णय पर हैं स्थितियाँ निर्भर

जिद्दीपन का हंटर चमका
पोर-पोर पर उपटे साटे
देवदार क्या कहे किसी से!

किसे जरूरत है सपनों की
चिड़ियों का घर कौन बचाये
खुद को मरते देख रही हैं
दंत कथाओं की प्रतिमाएँ

हाथ पाँव में कील ठुकी है
सर में समय चुभोता काँटे
देवदार क्या कहे किसी से।

- शुभम् श्रीवास्तव ओम   
 
१५ मई २०
१६

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