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दोहे

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धूप हँसी बदली हँसी, हँसी पलाशी शाम,
पहन मूँगिया कंठियाँ, टेसू हँसा ललाम।
- दिनेश शुक्ल
 

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सरे राह नंगा हुआ, फागुन वस्त्र निकाल
काली टेसू की कली, हुई शर्म से लाल।
- किशोर काबरा
 

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तन मन होली में हुआ इक टेसू का फूल.
कोयल कू- कू गा रही सबके मन अनुकूल
- सुरेन्द्र अग्निहोत्री
 

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वन पलाश के हैं नहीं, हँसे न टेसू फूल ।
खेत-खेत मुस्का रही, काँटेदार बबूल ।।
- लक्ष्मीनारायण शर्मा साधक
 

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बहक गए टेसू निरे, फैले चहुँ, छतनार
मौसम पाती लिख रहा, ठगिनी बहे बयार
-क्षेत्रपाल शर्मा
 

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डाल-डाल टेसू खिले, आया है मधुमास,
मै हूँ बैठी राह में, पिया मिलन की आस।
-सुनीता चोटिया
 

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टेसू की लाली भरा, सरसों का कालीन
मधुमासी बिखरे छटा, उस पर हो आसीन
-विजय किसलय
 

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दहक रहा टेसू खड़ा, घूँघट में है पीर।
बंधन सारे तोड़कर, गोरी हुई अधीर॥
-प्रेमचंद सोनवाने
 

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फागुन का स्वागत करे, खिल पलाश के फूल गम के गाल गुलाल मल, तू भी सब कुछ भूल।।
--कृष्ण शलभ
 

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खिली कली कचनार की, दहका फूल पलाश
नव लतिकाएँ बाँचतीं, ऋतु का नया हुलास।
-यतीन्द्रनाथ राही

२० जून २०११

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