गुझिया मन को बहुत लुभावै

 

 
गुझिया मन को बहुत लुभावै
रंग -बिरंगे इस मौसम में-
अम्मा की सुधि आवै

गुड़ के लड्डू चना-बेसनी
खुशबू घर भर जाती
गरम अकेली गुझिया इन सब
पर भारी पड़ जाती
इतनी उठापटक अब घर में
कौन भला कर पावै
तब फिर अम्मा की सुधि आवै

अम्मा थीं, तब पूरे घर को
मन भर खूब बनातीं
पार-पड़ौसी के घर जाकर
खुशी-खुशी दे आतीं
अब फ्लैट में कौन पड़ौसी
ये संबंध बनावै
तब फिर अम्मा की सुधि आवै

एक कनस्तर भर के गुझियाँ
एक कनस्तर लड्डू
करते सुबह कलेवा इनसे
बच्चे, चच्चू, दद्दू
जब तक रहें, न कोई तब तक
और न कुछ भी खावै
तब फिर अम्मा की सुधि आवै

मोबाइल पर आर्डर कर के
अब तो सब भर पाते
ओम-स्वीट्स, बीकानेरी से
झटपट तभी मँगाते
बिन इनके रंगीला फागुन
ही फीका पड़ जावै
तब फिर अम्मा की सुधि आवै

- डा रामेश्वर प्रसाद सारस्वत
१ मार्च २०२१

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