एक चाय की चुस्की        

 


चौराहा गुमटी या घर
मिल जाये गरम-गरम
एक चाय की चुस्की में है
जोरदार दमखम

सुबह सवेरे छपकर आती
कितनी मौतें हत्यायें
केवल नाम बदलते
पन्ने पन्ने चीखें चिल्लायें
खून नहीं रग में
बरतन में पानी पत्ती ख़ौलायें
दाँत पीसते नहीं बल्कि
अदरक के टुकड़े पिस जायें

बड़ी बड़ी खबरों को
झटपट करती देख हजम
एक चाय की चुस्की में है
जोरदार दमखम

मिट्टी का इक कुल्हड़ साझा
दो बिस्कुट सौ सौ बातें
प्रेम प्यार वाली खुसपुस
मीठी मीठी वो सौगातें
कड़क चाय के साथ सुहानी
रूमानी सी बरसातें
शाम घिरे घर वापस आ
यादों वादों वाली रातें

कटिंग चाय पर कई दिलों में
गूँजी थी सरगम
एक चाय की चुस्की में है
जोरदार दमखम

उत्सव के पल हों सुन्दर या
मातम वाली हों घड़ियाँ
सुख दुख दोनों की सहभागी
चाय सदा जोड़े कड़ियाँ
नुक्कड़ की टपरी उधार की माँग
बहानों की झड़ियाँ
आसमान हासिल करने के
सपनों की झिलमिल लड़ियाँ

कड़क चाय पर कोमल से
किस्सों ने लिया जनम
एक चाय की चुस्की में है
जोरदार दमखम

- निशा कोठारी
१ जुलाई २०२०

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