पाँच दोहे एक मुक्तक

 

 

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दोहे
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कोरोना पर दीजिए, 'रवि' सब मिलकर ध्यान
करो न केवल बात ही, बांटो भी निज ज्ञान

दुनिया में सबसे विकट, कोरोना की व्याधि
सच मानें, कुछ भी नहीं _ टीबी, केंसर आदि

आँखें नहीं चुराइये, करिये आँखें चार
करने से ही आप 'रवि', पा सकते उपचार

मानवता का वास्ता, 'रवि' मानव से आज
मानव बन रख लीजिए, मानवता की लाज

जो होना था हो गया, बैठो मत असहाय
कोरोना का सोचिए, मिलकर सभी उपाय

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मुक्तक
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हराने के लिए कोरोना को डरना ज़रूरी है
इसी के वास्ते घर में बने रहना ज़रूरी है
अजब ये दौर 'रवि' अलगाव का आया है दुनिया में
जहाँ साये से खुद के फासला रखना ज़रूरी है

- रवि खण्डेलवाल
१ जून २०२०

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