गौरैया आयी है

 

 
सड़कों का शोर मिटा
नदी निखर आयी है
बालकनी पर फिर से
गौरैया आयी है

हमने दुनिया भर में
खूब प्रकृति को काटा
मार रहा कोरोना
झींगुर-सा झन्नाटा
ललछौंहे किसलय पर
पाकर मुस्कायी है

आदमी डरा-हारा
छिप बैठा बेचारा
पेड़ों पर मॉल खुले
गूँज रहा इकतारा
नीम पर गिलहरी ने
गोष्ठी करायी है

राम औ' रहीम थके
मंदिर-मस्जिद हारे
भूल गये तीरथ मठ
गुमसुम हैं गुरुद्वारे
ये किसी नियंता ने
गाँठ-सी लगायी है

- डा. भारतेंदु मिश्र
१ जून २०२०

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